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Notes for Class-10 According to New Syllabus-2016-17
Control and Co-ordination in Living Organisms
(जीवधारियों के शरीर में नियंत्रण एवं समन्वय)
संवेदनशीलता (Sensitivity):- संवेदनशीलता किसी जीवधारी की वह क्षमता है जिससे
वे वातावरण में होने वाले परिवर्तनों को पहचानते हैं तथा उनके अनुरूप प्रतिक्रिया
देते हैं। जैसे:- पौधों का प्रकाश की दिशा में गति करना, छुई-मुई(Mimosa
Pudica) के पौधे का छूने
पर मुरझा जाना, पौधों की जड़ो का जल की दिशा में
अधिक बढ़ना आदि। पौधों में तंत्रिका तंत्र का अभाव होता है तथा वे एक हीं स्थान पर
स्थिर रहते हैं अतः वे उद्दीपन का प्रतिचार धीमी गति से देते हैं।
उद्दीपन (Stimulus):- वातावरण में होने वाले वे सभी
परिवर्तन जिनके अनुरूप सजीव प्रतिक्रिया करते हैं उन्हे उद्दीपन कहते हैं। उद्दीपन
दो प्रकार के होते हैं – (a) वाह्य उद्दीपन : गुरुत्वाकर्षण, प्रकाश आदि। (b)
आंतरिक उद्दीपन : हॉरमोन आदि।
पौधों में संवेदनशीलता की खोज में जगदीश चन्द्र बोस का योगदान :- पौधों
के शरीर में संवेदनशीलता की खोज में आचार्य जगदीश चन्द्र बोस का योगदान बहुत हीं महत्वपूर्ण है। उन्होंने
क्रेस्कोग्राफ(Crescograph) नामक यंत्र का आविष्कार किया जिससे
पौधों में विभिन्न उद्दीपनों के फलस्वरूप होने वाली प्रतिक्रिया को देखा जाता है।
उन्होने अपने प्रयोगों के माध्यम से यह प्रमाणित कर दिया कि पौधों में भी जीवन है
तथा वे जंतुओं के समान प्रतिक्रिया करते है। पौधे भी प्रकाश, दबाव, ऊष्मा आदि के अनुरूप प्रतिक्रिया
देते हैं।अपने प्रयोग के लिए उन्होने छुई-मुई तथा डेस्मोडियम गाइरेन्स (Desmodium Gyrans)
नामक पौधों का चुनाव किया। आचार्य बोस ने यह भी प्रमाणित कर दिया कि पौधे जंतुओं
के समान दर्द की अनुभूति करते है, वे भी उतने हीं संवेदनशील हैं जीतने कि अन्य जीव-जन्तु। पौधों में पोषण, वृद्धि तथा अन्य जैविक क्रियाओं का अध्ययन भी
सर्वप्रथम आचार्य बोस ने हीं प्रारम्भ किया था।
पौधों में होने वाली गति (Movements in plants)
पौधों
में गति तीन प्रकार की होती है : -
1. अनुचलन गति (Tactic Movement)
:- वाह्य उद्दीपनों के प्रभाव से पौधों में होने
वाली वह गति जिसमें पौधे का सम्पूर्ण शरीर स्थानांतरित हो जाता है, उसे अनुचलन गति कहते हैं। यह निम्न प्रकार से
होता है:
(i) प्रकाशानुचलन (Phototactic Movement):- जब पौधों में स्थान परिवर्तन प्रकाश उद्दीपन के
प्रभाव से होता है तो इस प्रकार की गति को प्रकाशानुचलन गति कहते हैं। जैसे:
बैक्टीरिया, शैवाल का मंद प्रकाश की ओर गति
करना।
2. अनुवर्तन गति (Tropic Movement):-
वाह्य उद्दीपनों के प्रभाव से पौधों
के अंगों का उद्दीपन की दिशा में गति करना अनुवर्तन गति कहलाती है। अनुवर्तन गति
निम्न प्रकार से होती है:-
(i) प्रकाशानुवर्तन (Phototropic Movement):- प्रकाश के प्रभाव से पौधों के अंगों
में होने वाली गति को प्रकाशानुवर्तन गति कहते
हैं।
यदि
यह गति प्रकाश उद्दीपन की दिशा में होती है, तो इसे धनात्मक
प्रकाशानुवर्तन (Positive
Phototropism)
कहते हैं। जैसे:-
तना और शाखा में धनात्मक प्रकाशानुवर्तन होता है।
(To be continued.....)
Ch 1 life scince ka note
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